लखनऊ
17 दिसम्बर। आल इंडिया स्टूडेंट्स
फेडरेशन (एआईएसएफ) के तत्वाधान में ”सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका“
विषय पर एक राज्यस्तरीय विचारगोष्ठी
आज यहां जय शंकर प्रसाद सभागार में सम्पन्न हुई।
गोष्ठी
को सम्बोधित करते हुए आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के राष्ट्रीय
महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि जिस आल इंडिया
स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) की स्थापना आज से लगभग 79
साल पहले लखनऊ में हुई,
वहीं आज इस संगठन के बैनर तले सैकड़ों
छात्र इकट्ठे होकर इतने महत्वपूर्ण विषय पर विचारगोष्ठी का आयोजन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इस बात की अपेक्षा की गयी थी कि देश में सबको समानता,
न्याय, रोजगार और शिक्षा देने वाली व्यवस्था कायम होगी लेकिन ठीक
उसके उल्टा हुआ। हमें सामाजिक परिवर्तन की जंग को आगे बढ़ाना है तो शिक्षा को भी
हासिल करने का अधिकार प्राप्त करना है। दोहरी शिक्षा नीति को समाप्त कर सबको समान
शिक्षा और रोजगारपरक शिक्षा दिलाने के संघर्ष को आगे बढ़ाना है। एआईएसएफ अपनी
स्थापना के दिन से ही इस काम को अंजाम दे रहा है।
विचार
गोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुए एआईएसएफ के पूर्व प्रांतीय सह
सचिव एवं भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि आज भी समाज में हर क्षेत्र में गैर
बराबरी पनप रही है। आर्थिक क्षेत्र में जहां एक ओर भयंकर गरीबी है वहीं दूसरी ओर
सम्पन्नता के महापर्वत पनप रहे हैं। जातीय भेदभाव, लैंगिक असमानता, सामाजिक वितृष्णा आदि के चलते समाज में तमाम तरह के
जटिलतायें और विद्रूपतायें पैदा हो रही हैं। इनको बदले जाने की जरूरत है। शिक्षा
ही वह माध्यम है जिसको हासिल करके हम इन विषमताओं को समझ सकते हैं और उनको बदलने का
निदान खोज सकते हैं लेकिन आज शिक्षा पूरी तरह से व्यापार बन चुकी है और धन कमाने
का माध्यम बनी शिक्षा का कोई स्तर नहीं रहा। बेहद महंगी होने के कारण वह आम आदमी
की पकड़ से पूरी तरह गायब हो गई है। इस स्थिति से बदलने के लिए हमें शिक्षा का बजट 6
फीसदी करने,
समूची शिक्षा का राष्ट्रीयकरण करने,
सबको समान शिक्षा देने और शिक्षा को
रोजगारपरक बनाने के लिए संघर्ष करना होगा। नई सरकार द्वारा शिक्षा के
साम्प्रदायीकरण और उसे पुरातनपंथी ढांचे में ढालने की कोशिशों का भी हमें मुखर
विरोध करना है।
संगोष्ठी
में भाग लेते हुए तमाम छात्र-छात्राओं ने शिक्षा को अवैज्ञानिक किए जाने,
दोहरी शिक्षा व्यवस्था,
ऋण लेकर शिक्षा ग्रहण करने के बाद
बेरोजगार हो जाने, छात्र
संघों का चुनाव न कराये जाने, शिक्षण
संस्थाओं में व्याप्त गुंडागर्दी आदि तमाम समस्याओं पर संघर्ष की आवश्यकता
रेखांकित करते हुए कहा कि समाज में व्याप्त तमाम बुराईयों से लड़ने के पहले शिक्षित
होना आवश्यक है।
संगोष्ठी
की अध्यक्षता ओंकार नाथ पाण्डेय ने की तथा संचालन अमरेश चौधरी ने किया। संगोष्ठी
के बाद एआईएसएफ का राज्य सम्मेलन का शुभारम्भ हुआ जो कल तक जारी रहेगा।
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