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मंगलवार, 8 नवंबर 2011

एआईएसएफ द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रों की बेरहम पिटाई की न्यायिक जांच की मांग

लखनऊ 9 नवम्बर। अखिल भारतीय स्टूडेन्ट्स फेडरेशन ने लखनऊ विश्वविद्यालय में इंप्रूवमेंट परीक्षाओं के शुल्क में अत्यधिक वृद्धि का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी छात्रों की प्रॉक्टोरियल बोर्ड की शह पर पुलिस द्वारा बेरहम पिटाई पर कटु रोष प्रकट करते हुए प्रदेश सरकार से उसकी न्यायिक जांच करवाने की मांग की है। एआईएसएफ की राज्य संयाजिका निधि चौहान ने उपकुलपति तथा प्रॉक्टोरियल बोर्ड पर हिटलर और मुसोलिनी बनने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वे आचार्य नरेन्द्र देव और प्रो. विट्ठल रॉव जैसे अपने पूर्वजों से सबक लेते हुए न केवल गुरू बल्कि छात्रों के अभिवावकों की तरह बर्ताव करें।
एआईएसएफ ने लखनऊ यूनीवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (लूटा) तथा लखनऊ यूनीवर्सिटी एसोसिएटेड कालेज टीचर्स एसोसिएशन (लुआक्टा) से भी अपील की है कि वे शिक्षकों के हितों के लिए संघर्ष करने के साथ-साथ लूटा की परम्परा के अनुसार उपकुलपति तथा प्रॉक्टोरियल बोर्ड के कतिपय शिक्षकों की हिटलरशाही का भी विरोध करें।
यहां जारी एक प्रेस बयान में एआईएसएफ ने कहा है कि अगर लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता का यह बयान सही होता कि पिटाई विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बिना की गयी तो उपकुलपति एवं प्रॉक्टोरियल बोर्ड का यह कर्तव्य था कि वे संबंधित पुलिस कर्मियों के खिलाफ भादंसं की धारा 307, 324, 325 के अधीन एफआईआर दर्ज कराते क्योंकि यह अपराध लखनऊ विश्वविद्यालय के परिसर में हुआ है। उनका ऐसा न करना यह साबित करता है कि पिटाई उनके निर्देशों पर और उनकी शह पर की गयी है।

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