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गुरुवार, 12 जून 2014

देश के पहले छात्र संगठन आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के सदस्य बनें!

प्रिय भाईयों एवं बहनों,
देश के पहले छात्र संगठन - अखिल भारतीय स्टूडेन्ट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) का जन्म सन 1936 को आजादी के लिए चल रहे साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष की पृष्ठभूमि में लखनऊ में हुआ था। स्थापना अधिवेशन का उद्घाटन पं. जवाहर लाल नेहरू ने किया था और महात्मा गांधी, गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर, तेज बहादुर सप्रू, श्रीनिवास शास्त्री आदि ने फेडरेशन के लक्ष्यों के प्रति एकजुटता व्यक्त की थी।
एआईएसएफ ने न केवल ब्रिटिश साम्राज्यवाद के चंगुल से देश को आजाद कराने के लिए पूरे देश के छात्रों को संगठित और आन्दोलित किया बल्कि छात्र हितों के लिए अनगिनत संघर्षों का जो सिलसिला शुरू किया वह आजादी के बाद से लेकर अब तक जारी है। एआईएसएफ ने छात्रों के हितों में अनगिनत ऐतिहासिक संघर्ष किये, इसके तमाम कार्यकर्ताओं ने छात्र हितों के लिए संघर्षों में अपनी जान तक न्यौछावर कर दी।
नई आर्थिक नीतियों ने आज के छात्रों के सामने नई परेशानियां खड़ी कर दी हैं। विज्ञापनों में तो सरकारें शिक्षा को अधिकार के रूप में प्रचारित कर रही हैं परन्तु वास्तव में शिक्षा को बाजार में बिकने वाली वस्तु बना दिया गया है। जिस दोहरी शिक्षा नीति को समाप्त कर दिया जाना चाहिए था, उसे नया जीवन दे दिया गया है। शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार फैलता चला जा रहा है। छात्रों से ली जाने वाली फीस दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ती जा रही है। नए छात्रावास नहीं बनवाये जा रहे हैं। छात्रों से प्रयोगशालाओं, वर्कशॉप, पुस्तकालयों, खेलों तथा एकेडमिक टूअर्स के नाम पर पैसे वसूले जाते हैं परन्तु उन्हें वह सुविधायें मुहैया नहीं की जा रही हैं और ली जा रही फीस भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। निजी क्षेत्र में अनाप-शनाप फीस ली जा रही है। फीस अदा करने के लिए अभिवावकों को अपने जेवर और जायदाद बेचने अथवा ऋण लेने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। छात्र संघों को निलम्बित कर छात्रों में पनप रहे विरोध का गला घोटा जा रहा है। सरकारी एवं संगठित क्षेत्रों में रोजगार के अवसर लगातार कम हो रहे हैं। आज नए तरीकों के शोषण छात्रों को झेलने पड़ रहे हैं।
इन हमलों के खिलाफ संघर्ष केवल एआईएसएफ के बैनर तले ही किये जा सकते हैं क्योंकि बाकी छात्र संगठनों के राजनीतिक आका छात्रों की मौजूदा समस्याओं के लिए जिम्मेदार हैं और वे छात्र शक्ति का दुरूपयोग अपने निजी राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए करते हैं। इसलिए हम आप सभी छात्र भाईयों एवं बहनों से अनुरोध करते हैं कि आप सभी एआईएसएफ का सदस्य बन कर छात्र विरोधी सरकारी नीतियों तथा शैक्षिक संस्थानों में व्याप्त शोषण एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का हिस्सा बनें।
शिक्षा के बाजारीकरण को समाप्त करने के लिए!
दोहरी शिक्षा नीति को समाप्त करने के लिए!
मुफ्त शिक्षा के अधिकार के लिए!
शिक्षा क्षेत्र से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए!
केन्दीय बजट का 6 प्रतिशत शिक्षा के लिए आबंटित करवाने के लिए!
दो लाख रूपये तक की वार्षिक आय वाले छात्रों को छात्रवृत्ति दिलवाने के लिए!
बेरोजगारी को समाप्त करने के लिए!
तथा
छात्र संघों की बहाली के लिए!
आइये हम सब छात्र एआईएसएफ के झंडे के नीचे एकजुट हों और संघर्षों के जरिये शिक्षा के अधिकार को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़े।
निवेदक
आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन
22, कैसरबाग, लखनऊ - 226 001 फोन: 2624943 फैक्स: 0522-2622844
e-mail : aisfup@gmail.com; blog : http://aisfup.blogspot.com

गुरुवार, 5 जून 2014

एआईएसएफ की मांग - ”टैबलेट दो, लैपटॉप दो - वरना गद्दी छोड़ दो“

लखनऊ 5 जून। आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) ने आज अपनी राज्य स्तरीय कार्यकर्ता बैठक में 12 अगस्त को अपने स्थापना दिवस पर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर विचार गोष्ठियां आयोजित करने का फैसला लिया। विचार गोष्ठियों का नारा होगा - ”टैबलेट दो, लैपटॉप दो - वरना गद्दी छोड़ दो“ तथा ”शिक्षा का बाजारीकरण बन्द करो“।
फेडरेशन ने जून माह में पूरी तैयारी कर पूरे प्रदेश में जुलाई एवं अगस्त माह में सघन सदस्यता अभियान चलाने, सितम्बर में जिला सम्मेलन आयोजित करने तथा अक्टूबर माह में राज्य सम्मेलन आयोजित करने का फैसला भी लिया।
फेडरेशन ने ”सामाजिक परिवर्तन के लिए शिक्षा में सुधार“ विषय पर एक राज्य स्तरीय गोष्ठी लखनऊ में आयोजित करने का भी फैसला लिया है जिसमें शिक्षा शास्त्रियों तथा समाज शास्त्रियों को आमंत्रित किया जायेगा। फेडरेशन ने सोशल मीडिया पर भी अपनी गतिविधियां तेज करने का फैसला लिया है।
फेडरेशन की कार्यकर्ता बैठक ने सांगठनिक कारणों से राज्य कमेटी को भंग कर दिया तथा एक तदर्थ समिति का गठन किया जो अगले राज्य सम्मेलन तक राज्य कार्यालय का कार्य देखेगी। ओंकार नाथ पाण्डेय को तदर्थ समिति का संयोजक तथा अमरेश चौधरी को सह संयोजक बनाया गया है। तदर्थ समिति के अन्य सदस्य हैं - रजनीश मिश्रा, तिलक राम मांझी, हरी मोहन त्रिपाठी, कु. शिवानी मौर्या तथा उत्कर्ष त्रिपाठी।