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गुरुवार, 18 दिसंबर 2014

स्टूडेंट्स फेडरेशन का राज्य सम्मेलन सम्पन्न

लखनऊ 18 दिसम्बर। ”सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका“ विषय पर विचार गोष्ठी के साथ कल शुरू हुआ आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) का राज्य सम्मेलन आज फेडरेशन के राज्य कार्यालय के सभागार में समाप्त हो गया। सांगठनिक सत्रों में विभिन्न जनपदों से आये छात्र प्रतिनिधियों ने एआईएसएफ की गतिविधियों तथा सदस्यता अभियान पर रिपोर्ट पेश करते हुए संगठन को और मजबूत और व्यापक करने की आवश्यकता पर बल दिया।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए एआईएसएफ के पूर्व नेता एवं भाकपा के पूर्व राज्य सचिव अशोक मिश्र ने कहा कि सम्मेलन को अपार सफलता के साथ आयोजित कर लेने के बाद एआईएसएफ के वर्तमान सदस्यों का उत्तरदायित्व और भी बढ़ गया है। सम्मेलन के बाद समाज की अपेक्षायें भी बढ़ गईं हैं। जिलों-जिलों में सांगठनिक ढांचे को खड़ा करना, विचार गोष्ठियों तथा अन्य तरीकों से विद्यार्थियों के मुद्दों को बार-बार उठाना अब और जरूरी हो गया है जिससे प्रदेश की छात्र राजनीति में दो दशकों से चले आ रहे शून्य को भरा जा सके। उन्होंने कहा कि दोहरी शिक्षा प्रणाली के खिलाफ संघर्ष को तेज करना होगा। निजी कालेजों और विश्वविद्यालयों के राष्ट्रीयकरण के लिए अभियान भी एआईएसएफ को ही चलाना होगा। उन्होंने कहा कि छात्रों ने तो अपना काम शुरू कर दिया है, अब बारी एआईएसएफ के पूर्व कैडरों तथा प्रगतिशील ताकतों पर है कि वे एआईएसएफ के वर्तमान कैडरों को दिशा-निर्देश और सहयोग देकर उनके अभियान को आगे सहायक की भूमिका अदा करें।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए एआईएसएफ के पूर्व सचिव एवं यूनियन बैंक स्टाफ एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष प्रदीप तिवारी ने सम्मेलन की अपार सफलता पर एआईएसएफ के कार्यकर्ताओं का अभिनन्दन करते हुए कहा कि आज जब शिक्षा पर तमाम तरह के हमले चल रहे हैं, उत्तर प्रदेश में एक जीवन्त एवं सशक्त एआईएसएफ समय की आवश्यकता है। प्रदीप तिवारी ने कहा कि शिक्षा का पूरी तरह बाजारीकरण कर दिया गया है, शिक्षा बेची जा रही है और तमाम राजनीतिक दलों की तमाम केन्द्रीय एवं राज्य सरकारें शिक्षा के इस बाजार को मजबूत करती रही हैं। छात्र यूनियनों के चुनाव नहीं करवाये जा रहे हैं। छात्रों का तमाम तरह से शोषण किया जा रहा है। शिक्षा का स्तर काफी गिर गया है। एआईएसएफ के संगठनकर्ताओं में रहे देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू का जिक्र करते हुए प्रदीप तिवारी ने कहा कि नेहरू जी ने शिक्षा को वैज्ञानिक सोच से लैस करने की बात की थी परन्तु आज शिक्षा को अवैज्ञानिक बनाने का करतब किये जा रहे हैं और यह काम उनकी खुद की पार्टी कांग्रेस ने शुरू किये हैं। ज्योतिष और कर्मकांड जैसे विषयों पर विश्वविद्यालयों में कोर्स चलाये जा रहे हैं। दहेज प्रथा, जातिवाद, सम्प्रदायवाद और क्षेत्रवाद जैसी संकीर्णताओं से आज के छात्र को लैस करने के भी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को प्रगतिशील होना ही होगा और हर तरह से संकीर्णता से मुक्त होना होगा और यह तब तक सम्भव नहीं है जब तक प्रदेश के एआईएसएफ के नेतृत्व में सशक्त छात्र आन्दोलन संगठित नहीं कर लिया जाता है। उन्होंने अभिवावकों का आह्वान किया कि वे भगत सिंह के पड़ोसी के घर में पैदा होने की मानसिकता से ऊपर उठें और भगत सिंह घर-घर में पैदा करने की सोंचे।
सम्मेलन के समापन के पूर्व एआईएसएफ के महासचिव विश्वजीत कुमार ने सम्मेलन के सफल आयोजन में तमाम व्यक्तियों एवं संस्थाओं द्वारा किये गये सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि एआईएसएफ की जन्मस्थली पर एआईएसएफ एक बार फिर सजीव हो उठा है और एआईएसएफ के राष्ट्रीय नेतृत्व की आकांक्षायें उत्तर प्रदेश से बहुत बढ़ गईं हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले वक्त में उत्तर प्रदेश देश के छात्र आन्दोलन को गति एवं दिशा देने में सक्षम हो सकेगा।
सम्मेलन ने ओंकार नाथ पाण्डेय (फैजाबाद) की अध्यक्ष, जीसस चतुर्वेदी (मथुरा) तथा कु. शिवानी मौर्या (लखनऊ) को उपाध्यक्ष, अमरेश चौधरी (लखनऊ) को सचिव, रजनीश मिश्र (गोण्डा) तथा कु. वर्तिका श्रीवास्तव (प्रतापगढ़) को सह सचिव के साथ-साथ गौरव, राहुल, विजेन्द्र पाल (फतेहपुर), इन्द्रेश, सोनू, मनफूल (बांदा), संजय सिंह, अनुपम सिंह (प्रतापगढ़), हरि मोहन त्रिपाठी, प्रमोद (कानपुर देहात), अजमत अहमद (इलाहाबाद), मो. जुबैर अहमद (सुल्तानपुर), उत्कर्ष त्रिपाठी, प्रखर पांडे, इरशाद आलम एवं दिवाकर शुक्ल (गोण्डा), अरूणेश राजपूत (आगरा), दिलीप कुमार मौर्य, मो. मुज़म्मिल आज़मी (आजमगढ़), राम कौशिक (मथुरा), आशीष कुमार पाण्डेय, राज कुमार गुप्त, विजय कुमार वैश्य (फैजाबाद), अखिलेश कुमार (बस्ती), विमल कुमार ओमना, अखिलेश कुमार (बाराबंकी), रविकांत एवं शिवम (चित्रकूट) को राज्य कौंसिल का सदस्य निर्वाचित किया गया। तमाम जनपदों में जिला सम्मेलन न होने के कारण पदाधिकारियों एवं राज्य कौंसिल सदस्यों के स्थान को रिक्त रखा गया है जिसे राज्य कौंसिल की अगली बैठक में मनोनयन के जरिये भरा जायेगा।
सम्मेलन की अध्यक्षता ओंकार नाथ पाण्डेय ने की तथा संचालन अमरेश चौधरी ने किया।

बुधवार, 17 दिसंबर 2014

एआईएसएफ की विचारगोष्ठी आशातीत सफल

लखनऊ 17 दिसम्बर। आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के तत्वाधान में सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिकाविषय पर एक राज्यस्तरीय विचारगोष्ठी आज यहां जय शंकर प्रसाद सभागार में सम्पन्न हुई।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के राष्ट्रीय महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि जिस आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) की स्थापना आज से लगभग 79 साल पहले लखनऊ में हुई, वहीं आज इस संगठन के बैनर तले सैकड़ों छात्र इकट्ठे होकर इतने महत्वपूर्ण विषय पर विचारगोष्ठी का आयोजन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इस बात की अपेक्षा की गयी थी कि देश में सबको समानता, न्याय, रोजगार और शिक्षा देने वाली व्यवस्था कायम होगी लेकिन ठीक उसके उल्टा हुआ। हमें सामाजिक परिवर्तन की जंग को आगे बढ़ाना है तो शिक्षा को भी हासिल करने का अधिकार प्राप्त करना है। दोहरी शिक्षा नीति को समाप्त कर सबको समान शिक्षा और रोजगारपरक शिक्षा दिलाने के संघर्ष को आगे बढ़ाना है। एआईएसएफ अपनी स्थापना के दिन से ही इस काम को अंजाम दे रहा है।
विचार गोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुए एआईएसएफ के पूर्व प्रांतीय सह सचिव एवं भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि आज भी समाज में हर क्षेत्र में गैर बराबरी पनप रही है। आर्थिक क्षेत्र में जहां एक ओर भयंकर गरीबी है वहीं दूसरी ओर सम्पन्नता के महापर्वत पनप रहे हैं। जातीय भेदभाव, लैंगिक असमानता, सामाजिक वितृष्णा आदि के चलते समाज में तमाम तरह के जटिलतायें और विद्रूपतायें पैदा हो रही हैं। इनको बदले जाने की जरूरत है। शिक्षा ही वह माध्यम है जिसको हासिल करके हम इन विषमताओं को समझ सकते हैं और उनको बदलने का निदान खोज सकते हैं लेकिन आज शिक्षा पूरी तरह से व्यापार बन चुकी है और धन कमाने का माध्यम बनी शिक्षा का कोई स्तर नहीं रहा। बेहद महंगी होने के कारण वह आम आदमी की पकड़ से पूरी तरह गायब हो गई है। इस स्थिति से बदलने के लिए हमें शिक्षा का बजट 6 फीसदी करने, समूची शिक्षा का राष्ट्रीयकरण करने, सबको समान शिक्षा देने और शिक्षा को रोजगारपरक बनाने के लिए संघर्ष करना होगा। नई सरकार द्वारा शिक्षा के साम्प्रदायीकरण और उसे पुरातनपंथी ढांचे में ढालने की कोशिशों का भी हमें मुखर विरोध करना है।
संगोष्ठी में भाग लेते हुए तमाम छात्र-छात्राओं ने शिक्षा को अवैज्ञानिक किए जाने, दोहरी शिक्षा व्यवस्था, ऋण लेकर शिक्षा ग्रहण करने के बाद बेरोजगार हो जाने, छात्र संघों का चुनाव न कराये जाने, शिक्षण संस्थाओं में व्याप्त गुंडागर्दी आदि तमाम समस्याओं पर संघर्ष की आवश्यकता रेखांकित करते हुए कहा कि समाज में व्याप्त तमाम बुराईयों से लड़ने के पहले शिक्षित होना आवश्यक है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता ओंकार नाथ पाण्डेय ने की तथा संचालन अमरेश चौधरी ने किया। संगोष्ठी के बाद एआईएसएफ का राज्य सम्मेलन का शुभारम्भ हुआ जो कल तक जारी रहेगा।


मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

”सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका“

17 दिसम्बर 2014 को भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के सहयोग से आल इंडिया स्टूडेंन्ट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) द्वारा ”सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका“ विषय पर राज्य स्तरीय विचार गोष्ठी का आयोजन - जय शंकर प्रसाद सभागार, कैसरबाग दोपहर 12 बजे से।
State Level Seminar on "Role of Education in Social Reform" by All India Students Federation (AISF) in co-operation with Indian People Theatre Association (IPTA) - Jai Shankar Prasad Auditorium, Kaiserbagh - 12.00 noon on 17th Dec. 2014.

रविवार, 12 अक्तूबर 2014

एआईएसएफ की कैडर बैठक 18 अक्टूबर को लखनऊ में

लखनऊ 13 अक्टूबर। आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) की प्रांतीय तदर्थ समिति की आवश्यक बैठक लखनऊ में फेडरेशन के प्रांतीय कार्यालय पर 18 अक्टूबर 2014 को होगी जिसमें तदर्थ समिति के सदस्यों के अलावा फेडरेशन के जिला अध्यक्ष एवं जिला मंत्री तथा जिला संयोजक एवं सह संयोजक भी शामिल होंगे।
यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के प्रांतीय संयोजक ओंकार नाथ पाण्डेय तथा सह संयोजक अमरेश चौधरी ने बताया कि इस समय प्रदेश के लगभग तीस जिलों में एआईएसएफ का सदस्यता अभियान चल रहा है और इस बैठक में जिला सम्मेलनों तथा राज्य सम्मेलन के कार्यक्रम पर निर्णय लिया जायेगा तथा ”शिक्षा सुधार - सामाजिक परिवर्तन के लिए“ विषय पर एक राज्य स्तरीय विचार गोष्ठी लखनऊ में आयोजित करने पर विचार किया जायेगा।

मंगलवार, 12 अगस्त 2014

शिक्षा का राष्ट्रीयकरण करो - एआईएसएफ

लखनऊ 12 अगस्त। ”शिक्षा के बाजारीकरण के फलस्वरूप शिक्षा नितान्त महंगी हो गई और उसके स्तर में भारी गिरावट आई है। शिक्षा व्यवस्था में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है और वे परचून की दुकान बन गये हैं। शिक्षा आम विद्यार्थी की पहुंच से बाहर होती जा रही है। गरीब छात्र अपने टैलेन्ट के अनुसार शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं और उनके सपने चकनाचूर हो रहे हैं। अतएव आज शिक्षा को गरीब और आम छात्रों के लिए सुलभ बनाने के लिए और उसको रोजगार परक बनाने के लिए शिक्षा का राष्ट्रीयकरण किया जाना जरूरी है।“ यह निष्कर्ष था आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) द्वारा अपने 78वें स्थापना दिवस पर ”शिक्षा का बाजारीकरण और आज का छात्र“ विषय पर आयोजित विचारगोष्ठी का। विचारगोष्ठी का आयोजन एआईएसएफ की लखनऊ इकाई ने किया था।
विचार गोष्ठी में विद्यार्थियों ने शिक्षा पर जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च करने, निजी शिक्षण संस्थाओं का राष्ट्रीयकरण करने, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने बच्चों को सरकारी एवं अनुदानित स्कूलों में ही पढ़ाने का कानून बनाने जिससे इन विद्यालयों में शिक्षण का स्तर ऊंचा उठ सके, अनुसूचित जातियों-जनजातियों की तरह ही पिछड़ी जातियों एवं अल्पसंख्यक तबकों के विद्यार्थियों से भी दाखिलों के वक्त फीस न वसूल किये जाने, और अब तक ली जा चुकी फीस का रिफंड तत्काल करने तथा सिविल सर्विसेज परीक्षा में सीसैट समाप्त करने की मांगे भी उठाई गयीं।
विचार गोष्ठी में अपने विचार प्रकट करते हुए भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि आज शिक्षा के निजीकरण के परिणामस्वरूप वह बेहद महंगी हो गई है और उसमें व्याप्त भारी भ्रष्टाचार के चलते उसकी गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है, जिसका सीधा खामियाजा गरीब और आम समाज से आये हुए विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। भूमंडलीकरण की नीतियों ने शिक्षा को सामाजिक लूट के औजार के रूप में विकसित किया है जिसमें संपन्न तबकों के लोग उच्च एवं महंगे शिक्षण संस्थानों में शिक्षा हासिल कर अपनी धन की हविश को पूरा करने का औजार बनाये हुए हैं। आज शिक्षा प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है ताकि वह गरीब और सामान्य तबकों को समाज में उनका हक दिलाने का औजार बन सके। एआईएसएफ को अपनी कार्यवाहियां इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए संगठित करनी चाहिए।
इस अवसर पर बैंक कर्मियों के नेता प्रदीप तिवारी ने कहा कि एआईएसएफ का जन्म स्वतंत्रता संग्राम के गर्भ से हुआ था लेकिन बाद में तमाम राजनीतिक दलों ने अपने-अपने दलों के छात्र संगठन गठित कर लिये और इस तरह निजी स्वार्थों को पूरा करने के लिए पूरे छात्र आन्दोलन को विघटित कर दिया। भूमंडलीकरण के दौर में शिक्षा संस्थानों में छात्र राजनीति में अराजकता और राज नेताओं की दलाली इन्हीं राजनैतिक ताकतों के द्वारा पैदा की गई। इस कारण उत्तर प्रदेश में छात्र आन्दोलन से छात्रों का मोह भंग सा हो गया। छात्र आन्दोलन की अनुपस्थिति में शिक्षा का बाजारीकरण सभी सरकारों के लिए आसान हो गया और हालात बद से बदतर हो गये।
विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए प्रो. अहमद अब्बास ने छात्रों का आह्वान किया कि वे अपने साथ हो रही तमाम नाइंसाफियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करें और इसे व्यवस्था परिवर्तन के संघर्ष से जोड़े। विचार गोष्ठी में विचार व्यक्त करने वाले अन्य वक्ता थे - डा. ए.के.सेठ, डा. बी.जी. वर्मा और मधुराम मधुकर।
गोष्ठी का संचालन एआईएसएफ की लखनऊ इकाई के संयोजक अमरेश चौधरी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक ओंकार नाथ पाण्डेय ने किया। गोष्ठी में विषय पर हुई चर्चा में कु. उजरा अजीम, निकेतन सिंह, सुरेन्द्र यादव, संजय मोहन श्रीवास्तव, कुशेन्द्र सिंह, कु. सुधा पाल, दीपक शर्मा, कु. शालू मौर्या, दुर्गेश, कु. शिवानी मौर्या, मेराज अख्तर, शोभम प्रजापति, निर्मल गौतम, विकास चन्द्राकर और आदित्य मौर्या ने भाग लिया।
गोष्ठी के बाद एआईएसएफ कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा लैपटॉप, टैबलेट और कन्या विद्या धन दिये जाने के वायदों को याद दिलाते हुए पोस्ट कार्ड पर मांगें दर्ज कर मुख्यमंत्री को भेजने के अभियान का शुभारम्भ किया।

गुरुवार, 12 जून 2014

देश के पहले छात्र संगठन आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के सदस्य बनें!

प्रिय भाईयों एवं बहनों,
देश के पहले छात्र संगठन - अखिल भारतीय स्टूडेन्ट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) का जन्म सन 1936 को आजादी के लिए चल रहे साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष की पृष्ठभूमि में लखनऊ में हुआ था। स्थापना अधिवेशन का उद्घाटन पं. जवाहर लाल नेहरू ने किया था और महात्मा गांधी, गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर, तेज बहादुर सप्रू, श्रीनिवास शास्त्री आदि ने फेडरेशन के लक्ष्यों के प्रति एकजुटता व्यक्त की थी।
एआईएसएफ ने न केवल ब्रिटिश साम्राज्यवाद के चंगुल से देश को आजाद कराने के लिए पूरे देश के छात्रों को संगठित और आन्दोलित किया बल्कि छात्र हितों के लिए अनगिनत संघर्षों का जो सिलसिला शुरू किया वह आजादी के बाद से लेकर अब तक जारी है। एआईएसएफ ने छात्रों के हितों में अनगिनत ऐतिहासिक संघर्ष किये, इसके तमाम कार्यकर्ताओं ने छात्र हितों के लिए संघर्षों में अपनी जान तक न्यौछावर कर दी।
नई आर्थिक नीतियों ने आज के छात्रों के सामने नई परेशानियां खड़ी कर दी हैं। विज्ञापनों में तो सरकारें शिक्षा को अधिकार के रूप में प्रचारित कर रही हैं परन्तु वास्तव में शिक्षा को बाजार में बिकने वाली वस्तु बना दिया गया है। जिस दोहरी शिक्षा नीति को समाप्त कर दिया जाना चाहिए था, उसे नया जीवन दे दिया गया है। शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार फैलता चला जा रहा है। छात्रों से ली जाने वाली फीस दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ती जा रही है। नए छात्रावास नहीं बनवाये जा रहे हैं। छात्रों से प्रयोगशालाओं, वर्कशॉप, पुस्तकालयों, खेलों तथा एकेडमिक टूअर्स के नाम पर पैसे वसूले जाते हैं परन्तु उन्हें वह सुविधायें मुहैया नहीं की जा रही हैं और ली जा रही फीस भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। निजी क्षेत्र में अनाप-शनाप फीस ली जा रही है। फीस अदा करने के लिए अभिवावकों को अपने जेवर और जायदाद बेचने अथवा ऋण लेने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। छात्र संघों को निलम्बित कर छात्रों में पनप रहे विरोध का गला घोटा जा रहा है। सरकारी एवं संगठित क्षेत्रों में रोजगार के अवसर लगातार कम हो रहे हैं। आज नए तरीकों के शोषण छात्रों को झेलने पड़ रहे हैं।
इन हमलों के खिलाफ संघर्ष केवल एआईएसएफ के बैनर तले ही किये जा सकते हैं क्योंकि बाकी छात्र संगठनों के राजनीतिक आका छात्रों की मौजूदा समस्याओं के लिए जिम्मेदार हैं और वे छात्र शक्ति का दुरूपयोग अपने निजी राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए करते हैं। इसलिए हम आप सभी छात्र भाईयों एवं बहनों से अनुरोध करते हैं कि आप सभी एआईएसएफ का सदस्य बन कर छात्र विरोधी सरकारी नीतियों तथा शैक्षिक संस्थानों में व्याप्त शोषण एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का हिस्सा बनें।
शिक्षा के बाजारीकरण को समाप्त करने के लिए!
दोहरी शिक्षा नीति को समाप्त करने के लिए!
मुफ्त शिक्षा के अधिकार के लिए!
शिक्षा क्षेत्र से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए!
केन्दीय बजट का 6 प्रतिशत शिक्षा के लिए आबंटित करवाने के लिए!
दो लाख रूपये तक की वार्षिक आय वाले छात्रों को छात्रवृत्ति दिलवाने के लिए!
बेरोजगारी को समाप्त करने के लिए!
तथा
छात्र संघों की बहाली के लिए!
आइये हम सब छात्र एआईएसएफ के झंडे के नीचे एकजुट हों और संघर्षों के जरिये शिक्षा के अधिकार को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़े।
निवेदक
आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन
22, कैसरबाग, लखनऊ - 226 001 फोन: 2624943 फैक्स: 0522-2622844
e-mail : aisfup@gmail.com; blog : http://aisfup.blogspot.com

गुरुवार, 5 जून 2014

एआईएसएफ की मांग - ”टैबलेट दो, लैपटॉप दो - वरना गद्दी छोड़ दो“

लखनऊ 5 जून। आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) ने आज अपनी राज्य स्तरीय कार्यकर्ता बैठक में 12 अगस्त को अपने स्थापना दिवस पर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर विचार गोष्ठियां आयोजित करने का फैसला लिया। विचार गोष्ठियों का नारा होगा - ”टैबलेट दो, लैपटॉप दो - वरना गद्दी छोड़ दो“ तथा ”शिक्षा का बाजारीकरण बन्द करो“।
फेडरेशन ने जून माह में पूरी तैयारी कर पूरे प्रदेश में जुलाई एवं अगस्त माह में सघन सदस्यता अभियान चलाने, सितम्बर में जिला सम्मेलन आयोजित करने तथा अक्टूबर माह में राज्य सम्मेलन आयोजित करने का फैसला भी लिया।
फेडरेशन ने ”सामाजिक परिवर्तन के लिए शिक्षा में सुधार“ विषय पर एक राज्य स्तरीय गोष्ठी लखनऊ में आयोजित करने का भी फैसला लिया है जिसमें शिक्षा शास्त्रियों तथा समाज शास्त्रियों को आमंत्रित किया जायेगा। फेडरेशन ने सोशल मीडिया पर भी अपनी गतिविधियां तेज करने का फैसला लिया है।
फेडरेशन की कार्यकर्ता बैठक ने सांगठनिक कारणों से राज्य कमेटी को भंग कर दिया तथा एक तदर्थ समिति का गठन किया जो अगले राज्य सम्मेलन तक राज्य कार्यालय का कार्य देखेगी। ओंकार नाथ पाण्डेय को तदर्थ समिति का संयोजक तथा अमरेश चौधरी को सह संयोजक बनाया गया है। तदर्थ समिति के अन्य सदस्य हैं - रजनीश मिश्रा, तिलक राम मांझी, हरी मोहन त्रिपाठी, कु. शिवानी मौर्या तथा उत्कर्ष त्रिपाठी।

मंगलवार, 20 मई 2014

एआईएसएफ के प्रसार हेतु विद्यार्थी कैडर बैठक

लखनऊ 21 मई। देश में विद्यार्थियों के सबसे पुराने अखिल भारतीय संगठन आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) को प्रदेश के तमाम हिस्सों में एक बार फिर फैला कर एआईएसएफ को अपना पुराना गौरव वापस दिलाने के लिए फेडरेशन ने 5 जून को पूर्वांहन 10.00 बजे से प्रादेशिक विद्यार्थी कैडर बैठक लखनऊ में फेडरेशन के राज्य कार्यालय पर आहूत की है।
यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में एआईएसएफ के प्रांतीय नेतृत्व ने संगठन में कार्यरत वर्तमान साथियों के साथ-साथ प्रगतिशील ताकतों, तमाम जन संगठनों पर कार्यरत साथियों, ट्रेड यूनियनों पर कार्यरत तमाम साथियों, प्रगतिशील पत्रकारों एवं एआईएसएफ के पुराने साथियों से अपील की है कि बैठक में भाग लेने के लिए अधिक से अधिक विद्यार्थियों को भेजने का बंदोबस्त करें जिससे आने वाले अकादमिक सत्र की गतिविधियों का कैलेंडर तैयार किया जा सके और संगठन को पूरे उत्तर प्रदेश में सफलतापूर्वक फैलाया जा सके।

गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों के पुलिसिया दमन की एआईएसएफ द्वारा भर्त्सना

लखनऊ 27 अप्रैल। कल इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जबरन हॉस्टल खाली कराये जाने के मुद्दे पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं पर पुलिस एवं पीएसी द्वारा पहले लाठियों से हमला, फिर आंसू गैस के हमले की आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) ने तीव्र भर्त्सना की है। पूरे शहर में आधी रात तक आंसू गैस छोड़े जाने को एआईएसएफ ने दमन की पराकाष्ठा बताया है। यह प्रदेश के छात्रों को युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार का दो माह के भीतर पहला तोहफा है।
एआईएसएफ की ओर से यहां जारी एक प्रेस बयान में एआईएसएफ की प्रांतीय संयोजिका कु. निधि चौहान ने कहा है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हास्टलों में बाहर से आकर शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र-छात्रायें रहते हैं और परीक्षाओं के बाद वे आगे की कक्षाओं में प्रवेश एवं नौकरी के लिए कम्पटीशन की तैयारी करते हैं और वही से उन परीक्षाओं में भाग लेते हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय सिविल सर्विसेज परीक्षाओं के छात्र-छात्राओं का पुराने समय से केन्द्र रहा है। पहले तो विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रावास खाली कराने की बात नहीं करनी चाहिए थी और फिर पुलिस को परिसर में आमंत्रित नहीं करना चाहिए था। अन्य अनेक ऐसे तरीके हैं जिनसे छात्र-छात्राओं को बिना शारीरिक-मानसिक क्षति पहुंचाये कुलपति के घेराव को समाप्त कराया जा सकता था लेकिन पुलिस प्रशासन ने सीधे लाठी-डंडों और आंसू गैस का सहारा लिया। यह सर्वथा निन्दनीय है।
एआईएसएफ की राज्य संयोजिका कु. निधि चौहान ने जिला प्रशासन द्वारा छात्र-छात्राओं के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार पर हिंसक हमले को लोकतंत्र के माथे पर धब्बा बताते हुए इलाहाबाद के कार्यवाहक जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने प्रदेश भर की एआईएसएफ की इकाईयों का आह्वान किया है कि वे महामहिम राष्ट्रपति एवं महामहिम राज्यपाल को घटना की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग करते हुए ज्ञापन जिलाधिकारियों को दें तथा इलाहाबाद के छात्र-छात्राओं के साथ अपनी एकजुटता प्रकट करें।


(कु. निधि चौहान)
राज्य संयोजिका

मंगलवार, 8 नवंबर 2011

स्टूडेन्ट्स फेडरेशन का फतेहपुर जिला सम्मेलन सम्पन्न

फतेहपुर 9 नवम्बर। आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) का पांचवा जिला सम्मेलन आज खागा में रमेश कल्याणकारी जूनियन हाई स्कूल में उत्साहपूर्ण माहौल में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन के पूर्व एआईएसएफ के पूर्व नेता, खागा नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन तथा सम्प्रति भाकपा के जिला मंत्री राम औतार सिंह किया तथा झंडागीत आरती सिंह, पूनम हेगड़े, श्वेता सिंह एवं बबिता वर्मा ने गाया। भगत सिंह की प्रतिमा का माल्यार्पण एआईएसएफ की प्रदेश संयोजिका निधि चौहान ने किया।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए अखिल भारतीय नौजवान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष विनय पाठक ने कहा कि छात्र और नौजवान किसी तरह से डिग्री हासिल करने के बाद बड़ी डिग्रियों का थैला कंधे पर टांग कर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा। बेरोजगारों की फौज दिन-प्रति-दिन बढ़ती चली जा रही है। इस समय देश में करीब 26 करोड़ युवा बेरोजगार हैं। पिछले बीस सालों में केन्द्र एवं राज्यों में रही सरकारों ने भूमंडलीकरण-उदारीकरण-निजीकरणा की प्रतिगामी आर्थिक नीतियों को चला कर संगठित क्षेत्र के करोड़ों रोजगारों को समाप्त कर दिया है। हर सरकारी विभाग और सार्वजनिक उपक्रम कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है परन्तु सरकार भर्ती की अनुमति नहीं दे रही है।
स्टूडेन्ट्स फेडरेशन की प्रदेश संयोजिका निधि चौहान ने छात्र-छात्राओं का आह्वान तथा शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ती हुई समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राचीन काल में शूद्रो को शिक्षा से वंचित रखा गया था लेकिन आज के समय में गरीबों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। शिक्षा के बाजारीकरण के कारण बिना पैसे के शिक्षा प्राप्त करना असम्भव है। शूद्रों को शिक्षा ग्रहण न करने देने की व्यवस्था मनु की थी गरीबों को शिक्षा न मिलने की व्यवस्था वर्तमान पूंजीवादी राजनीतिक व्यवस्था की है। उन्होंने एआईएसएफ के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन ने न केवल ब्रिटिश साम्राज्यवाद के चंगुल से देश को आजाद कराने के लिए पूरे प्रदेश के छात्रों को एकजुट कर आन्दोलन के लिए प्रेरित किया बल्कि छात्र हितों में अनगिनत ऐतिहासिक संघर्ष किये। उन्होंने मायावती पर प्रहार करते हुए कहा कि प्रदेश की सरकार ने छात्र आन्दोलन को कुचलने का प्रयास किया है, जिसे प्रदेश का छात्र बर्दाश्त नहीं करेगा और छात्र संघों की बहाली, शिक्षा के बाजारीकरण, शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार आदि के सवालों को लेकर दिसम्बर में संघर्ष चलाने एआईएसएफ ऐलान करेगा। सम्मेलन को एआईएसएफ के पूर्व नेता मोती लाल एडवोकेट ने भी सम्बोधित किया।
सम्मेलन में एआईएसएफ के जिला संयोजक गौरव सिंह ने राजनैतिक एवं सांगठनिक रिपोर्ट पेश की जिस पर हुई बहस में महेश प्रताप सिंह, उमा शंकर, अविनाश चौधरी, केशव, राहुल आदि ने हिस्सा लिया। रिपोर्ट को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। सम्मेलन ने गौरव सिंह को अध्यक्ष, पंकज चौधरी को उपाध्यक्ष, महेश कुमार को महामंत्री, कु. सोनी चौधरी तथा कु. पूनम हेगड़े को सहमंत्री तथा संदीप कनौजिया को कोषाध्यक्ष निर्वाचित किया। जितेन्द्र पाल, योगेश सिंह, राजेश सिंह, आरती सिंह को कार्यकारिणी का सदस्य निर्वाचित किया गया।
सम्मेलन का संचालन फूल चन्द्र पाल ने किया तथा अध्यक्षता जितेन्द्र कुमार पाल, आरती सिंह तथा संदीप कनौजिया के अध्यक्षमंडल ने की। महत्वपूर्ण बात यह रही कि सम्मेलन में छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और 30 से अधिक छात्राओं ने सम्मेलन में हिस्सा लिया और सम्मेलन की कार्यवाही में भी उत्साह के साथ सहभागिता की।