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गुरुवार, 18 दिसंबर 2014

स्टूडेंट्स फेडरेशन का राज्य सम्मेलन सम्पन्न

लखनऊ 18 दिसम्बर। ”सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका“ विषय पर विचार गोष्ठी के साथ कल शुरू हुआ आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) का राज्य सम्मेलन आज फेडरेशन के राज्य कार्यालय के सभागार में समाप्त हो गया। सांगठनिक सत्रों में विभिन्न जनपदों से आये छात्र प्रतिनिधियों ने एआईएसएफ की गतिविधियों तथा सदस्यता अभियान पर रिपोर्ट पेश करते हुए संगठन को और मजबूत और व्यापक करने की आवश्यकता पर बल दिया।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए एआईएसएफ के पूर्व नेता एवं भाकपा के पूर्व राज्य सचिव अशोक मिश्र ने कहा कि सम्मेलन को अपार सफलता के साथ आयोजित कर लेने के बाद एआईएसएफ के वर्तमान सदस्यों का उत्तरदायित्व और भी बढ़ गया है। सम्मेलन के बाद समाज की अपेक्षायें भी बढ़ गईं हैं। जिलों-जिलों में सांगठनिक ढांचे को खड़ा करना, विचार गोष्ठियों तथा अन्य तरीकों से विद्यार्थियों के मुद्दों को बार-बार उठाना अब और जरूरी हो गया है जिससे प्रदेश की छात्र राजनीति में दो दशकों से चले आ रहे शून्य को भरा जा सके। उन्होंने कहा कि दोहरी शिक्षा प्रणाली के खिलाफ संघर्ष को तेज करना होगा। निजी कालेजों और विश्वविद्यालयों के राष्ट्रीयकरण के लिए अभियान भी एआईएसएफ को ही चलाना होगा। उन्होंने कहा कि छात्रों ने तो अपना काम शुरू कर दिया है, अब बारी एआईएसएफ के पूर्व कैडरों तथा प्रगतिशील ताकतों पर है कि वे एआईएसएफ के वर्तमान कैडरों को दिशा-निर्देश और सहयोग देकर उनके अभियान को आगे सहायक की भूमिका अदा करें।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए एआईएसएफ के पूर्व सचिव एवं यूनियन बैंक स्टाफ एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष प्रदीप तिवारी ने सम्मेलन की अपार सफलता पर एआईएसएफ के कार्यकर्ताओं का अभिनन्दन करते हुए कहा कि आज जब शिक्षा पर तमाम तरह के हमले चल रहे हैं, उत्तर प्रदेश में एक जीवन्त एवं सशक्त एआईएसएफ समय की आवश्यकता है। प्रदीप तिवारी ने कहा कि शिक्षा का पूरी तरह बाजारीकरण कर दिया गया है, शिक्षा बेची जा रही है और तमाम राजनीतिक दलों की तमाम केन्द्रीय एवं राज्य सरकारें शिक्षा के इस बाजार को मजबूत करती रही हैं। छात्र यूनियनों के चुनाव नहीं करवाये जा रहे हैं। छात्रों का तमाम तरह से शोषण किया जा रहा है। शिक्षा का स्तर काफी गिर गया है। एआईएसएफ के संगठनकर्ताओं में रहे देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू का जिक्र करते हुए प्रदीप तिवारी ने कहा कि नेहरू जी ने शिक्षा को वैज्ञानिक सोच से लैस करने की बात की थी परन्तु आज शिक्षा को अवैज्ञानिक बनाने का करतब किये जा रहे हैं और यह काम उनकी खुद की पार्टी कांग्रेस ने शुरू किये हैं। ज्योतिष और कर्मकांड जैसे विषयों पर विश्वविद्यालयों में कोर्स चलाये जा रहे हैं। दहेज प्रथा, जातिवाद, सम्प्रदायवाद और क्षेत्रवाद जैसी संकीर्णताओं से आज के छात्र को लैस करने के भी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को प्रगतिशील होना ही होगा और हर तरह से संकीर्णता से मुक्त होना होगा और यह तब तक सम्भव नहीं है जब तक प्रदेश के एआईएसएफ के नेतृत्व में सशक्त छात्र आन्दोलन संगठित नहीं कर लिया जाता है। उन्होंने अभिवावकों का आह्वान किया कि वे भगत सिंह के पड़ोसी के घर में पैदा होने की मानसिकता से ऊपर उठें और भगत सिंह घर-घर में पैदा करने की सोंचे।
सम्मेलन के समापन के पूर्व एआईएसएफ के महासचिव विश्वजीत कुमार ने सम्मेलन के सफल आयोजन में तमाम व्यक्तियों एवं संस्थाओं द्वारा किये गये सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि एआईएसएफ की जन्मस्थली पर एआईएसएफ एक बार फिर सजीव हो उठा है और एआईएसएफ के राष्ट्रीय नेतृत्व की आकांक्षायें उत्तर प्रदेश से बहुत बढ़ गईं हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले वक्त में उत्तर प्रदेश देश के छात्र आन्दोलन को गति एवं दिशा देने में सक्षम हो सकेगा।
सम्मेलन ने ओंकार नाथ पाण्डेय (फैजाबाद) की अध्यक्ष, जीसस चतुर्वेदी (मथुरा) तथा कु. शिवानी मौर्या (लखनऊ) को उपाध्यक्ष, अमरेश चौधरी (लखनऊ) को सचिव, रजनीश मिश्र (गोण्डा) तथा कु. वर्तिका श्रीवास्तव (प्रतापगढ़) को सह सचिव के साथ-साथ गौरव, राहुल, विजेन्द्र पाल (फतेहपुर), इन्द्रेश, सोनू, मनफूल (बांदा), संजय सिंह, अनुपम सिंह (प्रतापगढ़), हरि मोहन त्रिपाठी, प्रमोद (कानपुर देहात), अजमत अहमद (इलाहाबाद), मो. जुबैर अहमद (सुल्तानपुर), उत्कर्ष त्रिपाठी, प्रखर पांडे, इरशाद आलम एवं दिवाकर शुक्ल (गोण्डा), अरूणेश राजपूत (आगरा), दिलीप कुमार मौर्य, मो. मुज़म्मिल आज़मी (आजमगढ़), राम कौशिक (मथुरा), आशीष कुमार पाण्डेय, राज कुमार गुप्त, विजय कुमार वैश्य (फैजाबाद), अखिलेश कुमार (बस्ती), विमल कुमार ओमना, अखिलेश कुमार (बाराबंकी), रविकांत एवं शिवम (चित्रकूट) को राज्य कौंसिल का सदस्य निर्वाचित किया गया। तमाम जनपदों में जिला सम्मेलन न होने के कारण पदाधिकारियों एवं राज्य कौंसिल सदस्यों के स्थान को रिक्त रखा गया है जिसे राज्य कौंसिल की अगली बैठक में मनोनयन के जरिये भरा जायेगा।
सम्मेलन की अध्यक्षता ओंकार नाथ पाण्डेय ने की तथा संचालन अमरेश चौधरी ने किया।

बुधवार, 17 दिसंबर 2014

एआईएसएफ की विचारगोष्ठी आशातीत सफल

लखनऊ 17 दिसम्बर। आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के तत्वाधान में सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिकाविषय पर एक राज्यस्तरीय विचारगोष्ठी आज यहां जय शंकर प्रसाद सभागार में सम्पन्न हुई।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के राष्ट्रीय महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि जिस आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) की स्थापना आज से लगभग 79 साल पहले लखनऊ में हुई, वहीं आज इस संगठन के बैनर तले सैकड़ों छात्र इकट्ठे होकर इतने महत्वपूर्ण विषय पर विचारगोष्ठी का आयोजन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इस बात की अपेक्षा की गयी थी कि देश में सबको समानता, न्याय, रोजगार और शिक्षा देने वाली व्यवस्था कायम होगी लेकिन ठीक उसके उल्टा हुआ। हमें सामाजिक परिवर्तन की जंग को आगे बढ़ाना है तो शिक्षा को भी हासिल करने का अधिकार प्राप्त करना है। दोहरी शिक्षा नीति को समाप्त कर सबको समान शिक्षा और रोजगारपरक शिक्षा दिलाने के संघर्ष को आगे बढ़ाना है। एआईएसएफ अपनी स्थापना के दिन से ही इस काम को अंजाम दे रहा है।
विचार गोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुए एआईएसएफ के पूर्व प्रांतीय सह सचिव एवं भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि आज भी समाज में हर क्षेत्र में गैर बराबरी पनप रही है। आर्थिक क्षेत्र में जहां एक ओर भयंकर गरीबी है वहीं दूसरी ओर सम्पन्नता के महापर्वत पनप रहे हैं। जातीय भेदभाव, लैंगिक असमानता, सामाजिक वितृष्णा आदि के चलते समाज में तमाम तरह के जटिलतायें और विद्रूपतायें पैदा हो रही हैं। इनको बदले जाने की जरूरत है। शिक्षा ही वह माध्यम है जिसको हासिल करके हम इन विषमताओं को समझ सकते हैं और उनको बदलने का निदान खोज सकते हैं लेकिन आज शिक्षा पूरी तरह से व्यापार बन चुकी है और धन कमाने का माध्यम बनी शिक्षा का कोई स्तर नहीं रहा। बेहद महंगी होने के कारण वह आम आदमी की पकड़ से पूरी तरह गायब हो गई है। इस स्थिति से बदलने के लिए हमें शिक्षा का बजट 6 फीसदी करने, समूची शिक्षा का राष्ट्रीयकरण करने, सबको समान शिक्षा देने और शिक्षा को रोजगारपरक बनाने के लिए संघर्ष करना होगा। नई सरकार द्वारा शिक्षा के साम्प्रदायीकरण और उसे पुरातनपंथी ढांचे में ढालने की कोशिशों का भी हमें मुखर विरोध करना है।
संगोष्ठी में भाग लेते हुए तमाम छात्र-छात्राओं ने शिक्षा को अवैज्ञानिक किए जाने, दोहरी शिक्षा व्यवस्था, ऋण लेकर शिक्षा ग्रहण करने के बाद बेरोजगार हो जाने, छात्र संघों का चुनाव न कराये जाने, शिक्षण संस्थाओं में व्याप्त गुंडागर्दी आदि तमाम समस्याओं पर संघर्ष की आवश्यकता रेखांकित करते हुए कहा कि समाज में व्याप्त तमाम बुराईयों से लड़ने के पहले शिक्षित होना आवश्यक है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता ओंकार नाथ पाण्डेय ने की तथा संचालन अमरेश चौधरी ने किया। संगोष्ठी के बाद एआईएसएफ का राज्य सम्मेलन का शुभारम्भ हुआ जो कल तक जारी रहेगा।


मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

”सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका“

17 दिसम्बर 2014 को भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के सहयोग से आल इंडिया स्टूडेंन्ट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) द्वारा ”सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका“ विषय पर राज्य स्तरीय विचार गोष्ठी का आयोजन - जय शंकर प्रसाद सभागार, कैसरबाग दोपहर 12 बजे से।
State Level Seminar on "Role of Education in Social Reform" by All India Students Federation (AISF) in co-operation with Indian People Theatre Association (IPTA) - Jai Shankar Prasad Auditorium, Kaiserbagh - 12.00 noon on 17th Dec. 2014.